Wednesday, December 31

आज हम बहुत ही तेजी से प्रगति करते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं. मगर आज के इस आधुनिक युग में भी बहुत सारे टॉपिक ऐसे हैं जिन पर बात करने से या तो लोग शर्माते हैं या फिर बात करना ही नहीं चाहते. उनमें से ही एक टॉपिक मासिक धर्म का भी है. जिसको लेकर आजकल के जमाने में भी कई प्रकार की गलत धारणाएं, मिथक व प्रतिबंधात्मक प्रथाओं का उच्च प्रचलन है. आज के इस आधुनिक युग में भी मासिक धर्म के वक्त किसी भी औरत या लड़की को मंदिर और रसोई घर में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है.

इस सोच को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड में काशीपुर के एक पिता ने अपनी बिटिया के पहले पीरियड्स को सेलीब्रेट किया है। पिता की इस सोच को सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों तक की सराहना मिल रही है। पीरियड का दर्द झेलने वाली अन्य बेटियां भी एक पिता की इस सोच पर गौरवान्वित हैं। गिरिताल काशीपुर निवासी जितेंद्र ने बताया कि वह मूलरूप से ग्राम चांदनी बनबसा के रहने वाले हैं। उनके परिवार की भी पहले रूढ़िवादी सोच थी। विवाह के बाद पत्नी के जरिये उन्हें जब इसका पता चला तो उन्होंने पूरे परिवार और समाज की सोच बदलने की कोशिश की। मासिक धर्म कोई अपवित्रता नहीं है, ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और जीवन का आधार है।

उन्होंने सोचा था कि जब उनकी बेटी को पहले पीरियड्स आएंगे तो इसे वह उत्सव की तरह मनाएंगे। इसके तहत 17 जुलाई को उन्होंने बेटी के पहले मासिक धर्म पर समारोह आयोजित किया और केक काटकर जश्न मनाया। इस दौरान लोगों ने रागिनी को कई उपहार दिए। कुछ लोगों ने उसे उपहारस्वरूप सेनेटरी पैड भी भेंट किए। रागिनी ने कहा कि पीरियड्स होना आम बात है। जैसा मेरे माता-पिता ने मेरे प्रथम मासिक धर्म पर केक काटकर उत्सव मनाया है, यह हर माता-पिता को सोचना चाहिए। मैं स्कूल में और सहेलियों के माता-पिता को भी इसे लेकर जागरूक करूंगी।

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