प्रदेश में बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने प्रतिबंधित कफ सिरप की बिक्री और वितरण के खिलाफ प्रदेशभर में सघन अभियान शुरू किया है। इस कार्रवाई के तहत अब तक 63 कफ सिरप के नमूने एकत्र कर देहरादून स्थित राज्य औषधि विश्लेषण प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
प्रयोगशाला को 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर यह अभियान पूरे राज्य में चलाया जा रहा है।
एफडीए के अपर आयुक्त एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप के सेवन से बच्चों के बीमार पड़ने और मौत की घटनाओं के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई है।

एफडीए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के सभी जिलों में सीएफटीओ, मेडिकल स्टोर, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की दवा दुकानों से संदिग्ध कफ सिरप के सैंपल एकत्र किए जाएं।
साथ ही, दवा निर्माण कंपनियों से भी कच्चे माल जैसे पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल, सॉर्बिटॉल और अन्य रासायनिक तत्वों के नमूने लेकर गुणवत्ता जांच कराई जा रही है ताकि उत्पादन स्तर पर किसी प्रकार की लापरवाही न हो।

बिना डॉक्टर की सलाह बच्चों को न दें दवा

अपर आयुक्त ने आम जनता से अपील की है कि बिना चिकित्सक की सलाह के बच्चों को कोई भी कफ सिरप न दें
यदि बच्चे में सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण दिखें, तो केवल योग्य डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवा दें।
इसके अलावा घरों में रखी खुली या पुरानी दवाइयों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि उनकी प्रभावशीलता घटने से वे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

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