उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं को बर्बाद करने वाला कुख्यात हाकम सिंह एक बार फिर सुर्खियों में है। पहले 13 महीने में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पा चुका हाकम, इस बार 2023 में बने सख्त नकलरोधी कानून के जाल में फंस गया है। इस कानून में गिरोह बनाकर नकल कराने और पेपर लीक करने वालों को आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

2022 का काला अध्याय और हाकम का साम्राज्य

जुलाई 2022 का वो दौर आज भी याद है, जब लगातार पेपर लीक होने से प्रदेशभर के युवा हताश और गुस्से में थे। STF की जांच में हाकम के एक के बाद एक काले कारनामे सामने आते गए और कई मुकदमे दर्ज हुए।

पहली कार्रवाई में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने स्नातक स्तरीय परीक्षा (5 दिसंबर 2021), वन दरोगा भर्ती (16–21 जुलाई 2021, ऑनलाइन) और सचिवालय रक्षक भर्ती (26 सितंबर 2021) रद्द कर दी। जांच आगे बढ़ी तो वाहन चालक, अनुदेशक, कर्मशाला अनुदेशक, मत्स्य निरीक्षक, मुख्य आरक्षी पुलिस दूरसंचार और पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षाएं भी रद्द करनी पड़ीं।

नए कानून ने किया शिकंजा और सख्त

पहले पुलिस ने हाकम पर कई धाराएं लगाई थीं, मगर कानून में नकल को लेकर इतने कठोर प्रावधान नहीं थे। अब उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अध्यादेश 2023 लागू होने के बाद, हाकम जैसे पेपर माफिया सीधा आजीवन कारावास की जद में आ गए हैं। यह अपराध अब संज्ञेय, गैर-जमानती और अशमनीय हो चुका है।

ऑनलाइन भर्ती पर भी लगाया ताला

हाकम ने केवल ऑफलाइन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन भर्ती परीक्षाओं में भी सेंध लगाई। जुलाई 2021 में हुई वन दरोगा की ऑनलाइन परीक्षा में 83 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन इसका भी पेपर लीक कर दिया गया। इसके बाद आयोग ने सुरक्षा कारणों से ऑनलाइन परीक्षाएं ही बंद कर दीं।

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