उत्तरकाशी के धराली-हर्षिल क्षेत्र में मंगलवार को खीरगंगा के ऊपर बादल फटने से भीषण आपदा आ गई। दोपहर के बाद आए अचानक सैलाब और मलबे के तेज बहाव ने धराली का मुख्य बाजार और प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर को पूरी तरह बहा दिया। अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि करीब 70 लोग लापता हैं।
बुधवार सुबह से प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। आपदा कंट्रोल रूम से हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना का पैटर्न वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा जैसा है। आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अंकित अग्रवाल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी विक्षोभ और मानसून का रास्ता बदल रहा है, जिससे बादल फटने की घटनाएं अधिक विकराल रूप ले रही हैं।
उधर, यमुनोत्री घाटी में लगातार तीसरे दिन बारिश से यमुना और सहायक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया है। स्याना चट्टी में मलबा और पत्थरों के बहाव ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है, जबकि यमुनोत्री हाईवे कई जगह मलबा और सड़क धंसने से बंद है।
गंगोत्री हाईवे पर पापड़गाड़ के पास करीब 30 मीटर सड़क धंसने से हर्षिल-धराली क्षेत्र का संपर्क कट गया है। राहत दल और आवश्यक सामग्री ले जा रही टीमें भटवाड़ी में फंसी हुई हैं। रात में ही प्रशासन ने हर्षिल व आसपास के क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थानों, जैसे मुखबा और कछोरा, में शिफ्ट किया है।


