उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। सभी 12 जिलों से मतगणना पूर्ण हो चुकी है और आचार संहिता समाप्त कर दी गई है। इस बार का परिणाम सत्ता, संगठन और व्यक्तिगत समीकरणों को लेकर कई संकेत दे रहा है।
जिला पंचायत सीटों का परिणाम:
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कुल सीटें: 358
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भाजपा समर्थित: 121
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कांग्रेस समर्थित: 92
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निर्दलीय उम्मीदवार: 145
चमोली में अध्यक्ष पद को लेकर जोड़तोड़:
चमोली जिले की 8 जिला पंचायत सीटों पर निर्दलीयों की जीत के बाद अध्यक्ष पद पर गठबंधन और समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं। यह निर्दलीय प्रत्याशी “किंग मेकर” साबित हो सकते हैं।
बड़े नाम हारे, युवा चेहरे जीते:
इस चुनाव में कई राजनीतिक दिग्गजों के परिजन मैदान में थे, लेकिन जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया।
हारने वालों में शामिल हैं:
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विधायक सरिता आर्या के बेटे रोहित आर्या
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सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे
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पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी
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लोहाघाट व लैंसडौन विधायकों के परिजन
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भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल भर्तवाल के परिवारजन
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भीमताल विधायक की बहू
इसके उलट कई युवा चेहरों ने दमदार जीत दर्ज की:
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रविना रावत (24): जखोल वार्ड से जिला पंचायत सदस्य
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अंजना रावत (25): सौड़ गांव से ग्राम प्रधान
जब फैसला हुआ पर्ची से:
कई ग्राम पंचायतों में बराबर वोट पड़ने पर प्रधान पद का निर्णय टॉस (लॉटरी) से किया गया:
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बणद्वारा: नितिन नेगी बनें ग्राम प्रधान
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कांदी: लक्ष्मी देवी विजयी घोषित
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चौकी-बरसिल: उर्मिला देवी बनीं प्रधान
BJP को ऐतिहासिक बढ़त, कांग्रेस ने भी दम दिखाया:
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BJP को कुल 216 सीटें (हरिद्वार छोड़कर), 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन
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हरिद्वार की 44 सीटों को मिलाकर आंकड़ा 260 तक पहुँचता है
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प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसे “पंचायतों में ऐतिहासिक जीत” बताया
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वहीं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपनी पार्टी के प्रदर्शन की सराहना की और भाजपा पर निशाना साधा
एकता की मिसाल और सोच की चुनौती:
चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि अब मतदाता परिवारवाद या संबंधों से अधिक योग्यताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह बदलाव गांवों की राजनीति में नई सोच की शुरुआत मानी जा रही है।


