उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र में इको टूरिज्म के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। करीब 1.63 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का यह मामला अब सीबीआई और ईडी जांच की ओर बढ़ रहा है। जांच रिपोर्ट में वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय कुमार भार्गव को इस घोटाले का प्रमुख आरोपित बताया गया है, जो वर्तमान में हल्द्वानी पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक हैं।
क्या है मामला?
साल 2019 में मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में डोरमेट्री, VIP इको हट्स, उत्पाद विक्रय केंद्र और ग्रोथ सेंटर जैसी संरचनाओं का निर्माण कराया गया। आरोप है कि इस निर्माण के लिए बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के सीधे निजी संस्था को ठेका देकर भुगतान किया गया।
इसके अलावा, ईको हट्स की आय का 70% हिस्सा एक निजी संस्था को सौंपने का अवैध एमओयू भी किया गया, जिसे किसी विधायक से जुड़ी कंपनी बताया जा रहा है। फायरलाइन निर्माण में भी फर्जीवाड़ा सामने आया है — 14.6 किमी कार्य योजना के बावजूद 90 किमी दिखाकर सरकारी पैसे की बंदरबांट की गई।
डॉ. विनय भार्गव पर पहले भी लगे हैं आरोप
डॉ. भार्गव का नाम इससे पहले 2015 में नरेंद्रनगर डीएफओ रहते हुए भी वित्तीय अनियमितताओं में सामने आया था, लेकिन उन्हें अनुभवहीनता का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया गया। चर्चा है कि उनका राजनीतिक संरक्षण उन्हें वर्षों से मलाईदार पदों पर बनाए रखे हुए है। बताया जा रहा है कि उनकी शादी एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से हुई है।
जांच रिपोर्ट की मुख्य बातें
IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा की गई इस विस्तृत जांच की 700 पन्नों की रिपोर्ट दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में तैयार हुई और मार्च 2025 में शासन को भेजी गई। मुख्यमंत्री द्वारा इसे जून 2025 में अनुमोदित कर लिया गया। रिपोर्ट में PMMLA (मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है।
गंभीर कानूनी संकट की ओर बढ़ता मामला
अब शासन ने डॉ. भार्गव से 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। ऐसा न होने की स्थिति में उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। यह मामला कार्बेट घोटाले की तरह उत्तराखंड वन विभाग की साख को एक और गहरा झटका देने वाला है।

