उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) रीना नेगी की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत कठोरतम उम्रकैद की सजा सुनाई।

फैसला सुनाए जाने के बाद जब तीनों को कोर्ट से बाहर लाया गया, तब सौरभ भास्कर को हंसता हुआ देखा गया, जबकि उसने हाथ उठाकर लोगों को देखा—जिससे उसके निर्लज्ज और शैतानी रवैये का नज़ारा साफ़ झलकता है।

अदालत ने हत्या के अलावा IPC की धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत तीनों को 5-5 साल की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा, अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत भी तीनों दोषी पाए गए, जिसमें 5-5 साल की सजा और 2-2 हजार रुपये का जुर्माना तय किया गया। पुलकित आर्य को धारा 354 (ए) (छेड़खानी) में भी दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना सुनाया गया।

सरकार को अदालत ने मृतका के माता-पिता को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।

फैसला सुनने के दौरान अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी और अभियोजन अधिकारी राजीव डोभाल मौजूद थे। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र सिंह रावत ने दोषियों की पैरवी की। तीनों दोषियों को सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया।

अभियोजन पक्ष ने अदालत से दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी, जबकि बचाव पक्ष ने कम सजा की गुहार लगाई। अदालत ने इस केस को बेहद गंभीर अपराध करार देते हुए तीनों को दोषी माना।

मामले में करीब दो साल आठ महीने तक सुनवाई चली, जिसमें एसआईटी के इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह खोलिया समेत 47 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। अदालत ने पाया कि मृतका को आरोपियों ने अनैतिक कार्य के लिए दबाव बनाया था और जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे धोखे से बाहर ले जाकर उसकी हत्या कर दी।

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