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    Home»उत्तराखंड»स्वतंत्रता संग्राम से लेकर हिंदी के उत्थान तक—भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को किया गया याद
    उत्तराखंड

    स्वतंत्रता संग्राम से लेकर हिंदी के उत्थान तक—भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को किया गया याद

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalSeptember 11, 2025No Comments3 Mins Read
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    पूर्व मुख्यमंत्री निशंक बोले – पंत जी का जीवन त्याग, जनसेवा और राष्ट्रभक्ति की गाथा

    देहरादून। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का 138वां जन्मदिवस देहरादून के आई.आर.डी.टी. सभागार में आयोजित किया गया इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, कुलपति मुक्त विश्वविद्यालय प्रो नवीन चन्द्र लोहनी, उपाध्यक्ष उत्तरांचल विश्वविद्यालय अंकिता जोशी एवं कार्यक्रम संयोजक राकेश डोभाल ने संयुक्त रूप से पं. गोविन्द बल्लभ पन्त के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन व पुष्पांजली कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

    इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पन्त के विचार आज भी प्रासंगिक हैं उनका विराट व्यक्तित्व आजादी के कालखण्ड से ही प्रेरक रहा है वास्तव में उस हिमालय पुत्र को नमन करते हुए गौरवान्वित हो रहे हैं कि उत्तराखंड के सुदूर अल्मोड़ा के खूंट से निकल कर राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया उन्होंने कहा कि गोविन्द बल्लभ पन्त पर शिक्षा विभाग निबंध प्रतियोगिता एवं क्वीज प्रतियोगिता का आयोजन कर युवाओं को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से भली भांति परिचित हो सके यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम सेनानी, भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत जी द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, हिंदी भाषा के उत्थान एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में किये गये अद्वितीय योगदान को भारत सदा सर्वदा याद रखेगा।

    उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।कार्यक्रम में सम्मिलित डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि पंत जी का जीवन केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, वह जनसेवा, त्याग और राष्ट्रभक्ति की जीवंत गाथा थे। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतंत्र भारत के प्रशासनिक और भाषायी स्वरूप को भी स्थायित्व प्रदान किया। हिंदी को राजभाषा का गौरव दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान युगांतकारी है। वे भलीभांति समझते थे कि “भाषा केवल संप्रेषण का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का संवाहक है। हिंदी के उत्थान और राष्ट्र की एकता के लिए उनका अथक परिश्रम हमें स्मरण कराता है कि अपनी जड़ों से जुड़े बिना कोई भी राष्ट्र विश्व में अपनी सशक्त पहचान नहीं बना सकता।

    कुलपति उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो नवीन चन्द्र लोहनी ने पं. गोविन्द बल्लभ पन्त के द्वारा समाज सेवा में किये गये कार्यों को लेकर याद किया जाएगा
    उन्होंने कहा कि प्रखर वक्ता, उच्च कोटि के अधिवक्ता कुशल नेतृत्व के धनी उत्तराखंड के गौरव को आज युवा पीढ़ी को आत्मसात करने की आवश्यकता है।

    उत्तरांचल यूनीवर्सिटी की वाइस प्रेसिडेंट अंकिता जोशी ने कहा कि देश के यशस्वी नेता के रूप में पं. गोविन्द बल्लभ पन्त को सदा याद किया जाएगा उन्होंने कहा कि आज के समय में युवाओं को महामानव के इतिहास से संकल्पित होने की आवश्यकता है।

    कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया कलावृक्ष प्रदर्शन कला संस्थान द्वारा कत्थक नृत्य,निर्वाणा योगशाला द्वारा योग प्रदर्शन, प्रतिभा डांस अकादमी द्वारा नृत्य प्रस्तुति एवं शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

    इस अवसर पर उत्तराखंड के स्तंभ विशिष्ट कार्य हेतु मीरा रावत,ललित बड़ाकोटी, रामचंद्र भट्ट, डॉ सुशील कुमार कोटनाला,मनमोहन भट्ट एवं डॉ दिनेश जोशी को अतिथियों द्वारा विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया।

    इस अवसर पर मुख्य रूप से राज्यमंत्री रमेश गडिया उपाध्यक्ष जलागम परिषद,कार्यक्रम सह संयोजक प्रदीप कुमार, हिमालयन अभ्युदय सामाजिक संस्था सचिव डॉ भावना बोरा, साक्षीशंकर, सुधाकर भट्ट,श्याम सिंह भण्डारी, डॉ भान सिंह, डॉ अनुज रतूड़ी,प्रभात कुमार,जसमीन, डॉ दीपक भट्ट, बृजपाल सिंह,संकेत नौटियाल, अवधेश तिवारी, हिमांशु,शिवम् जोशी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ नवीन चन्द्र पन्त ने किया।

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