देहरादून : उत्तराखंड में इस साल मानसून सीजन ने एक बार फिर तबाही की नई कहानी लिख दी है। वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद प्रदेश में यह अब तक की सबसे भीषण आपदा साबित हो रही है। उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी समेत कई जिलों में बादल फटने, अतिवृष्टि और भूस्खलन जैसी घटनाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार अब तक प्रदेश में ₹5,000 करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है।
नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर रही सरकार
आपदा से हुए नुकसान का आकलन जिला प्रशासन के माध्यम से किया जा रहा है। सभी जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र सरकार को सहायता हेतु प्रस्ताव भेजा जाएगा। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य में इस बार पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक नुकसान हुआ है।
वहीं, वित्त विभाग के सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार बजट उपलब्ध कराएगी। फिलहाल, वित्त विभाग को आपदा की अंतिम रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
प्रमुख जिलों में तबाही का आंकलन:
पौड़ी:
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2008 संपत्तियां क्षतिग्रस्त, 7 मौतें, 5 लापता
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₹77.46 करोड़ का अनुमानित नुकसान
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486 सड़कें और 770 बिजली लाइनें प्रभावित
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156 स्कूल भवन क्षतिग्रस्त
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1.21 करोड़ रुपये की राहत राशि वितरित
उत्तरकाशी:
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18 लोगों की मौत, 70 से अधिक लापता
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खीरगंगा क्षेत्र में बाढ़ से धराली गांव पूरी तरह तबाह
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360 भवन प्रभावित, 334 हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट
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कुल नुकसान: ₹236.98 करोड़
चमोली:
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11 मौतें, 14 घायल
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132 भवन प्रभावित (16 पूर्ण, 116 आंशिक)
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214 संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त
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140 से अधिक परिवार प्रभावित
टिहरी:
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3 मौतें, 452 भवन आंशिक/पूर्ण क्षतिग्रस्त
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कुल नुकसान: ₹70 करोड़
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राहत के रूप में ₹35.88 लाख वितरित
रुद्रप्रयाग:
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212 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त, कई स्रोत भी नष्ट
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जल संस्थान को ₹4 करोड़ से अधिक का नुकसान

