Wednesday, December 31

क्रौंच पर्वत के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी तीर्थ के चहुंमुखी विकास के लिए प्रदेश सरकार, पर्यटन विभाग व कार्तिकेय मन्दिर समिति लगातार प्रयासरत है तथा कार्तिक स्वामी तीर्थ को रोपवे से जोड़ने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा डीपीआर कुछ समय पहले तैयार कर दी गयी थी। उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर रुद्रप्रयाग जनपद के क्रौंच पर्वत पर स्थित है, जिसे कार्तिक स्वामी कहा जाता है। इस मंदिर तक श्रद्धालुओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए इसे रोपवे से जो़ड़ा जाएगा।

मंदिर के बेस प्वाइंट कनकचौरी से कार्तिक स्वामी तक 1.4 किमी लंबा रोपवे बनेगा, जिसके लिए प्री-फिजिबिलटी सर्वेक्षण भी हो चुका है। अधिकारियों के अनुसार आगामी सितंबर तक रोपवे निर्माण की अंतिम डीपीआर भी बन जाएगी। जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के 360 से अधिक गांवों के आराध्य के रूप में पूजनीय भगवान कार्तिकेय के दर्शनों के लिए वर्षभर श्रद्धालु कार्तिक स्वामी पहुंचते हैं। मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कनचौरी से लगभग चार किमी की चढ़ाई तय करनी होती है। लेकिन अब, मंदिर को रोपवे से जोड़ने की कार्ययोजना बन चुकी है।

इसके तहत पर्यटन विभाग द्वारा कनकचौरी से मंदिर क्षेत्र तक प्रारंभिक चरण में प्री-फिजिबिलटी सर्वेक्षण किया जा चुका है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी रोपवे निर्माण के लिए सही पाई गई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर अंतिम डीपीआर बनाई जा रही है, जिसे सिंतबर तक पूरा कर दिया जाएगा। रोपवे के लिए वन विभाग से भूमि अधिग्रण, पेड़ों की गिनती, छपान व अन्य कार्रवाई समयबद्ध पूरी की जाएंगी। कनकचौरी से मंदिर तक बनने वाले रोपवे की लंबाई 1.4 किमी होगी। रोपवे बनने से कनकचौरी से 10 मिनट में ही कार्तिक स्वामी पहुंचा जा सकेगा।

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