ऋषिकेश स्थित ऐतिहासिक चौरासी कुटिया (बीटल्स आश्रम) का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो चुका है। खास बात यह है कि इस विश्वप्रसिद्ध धरोहर के मूल स्वरूप से किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जा रहा। कार्यदायी संस्था का दावा है कि लगभग डेढ़ वर्ष के भीतर यह स्थल फिर से भव्य और दिव्य रूप में पर्यटकों के सामने होगा

राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिलने के बाद, करीब 92 करोड़ रुपये की लागत से चौरासी कुटिया को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की योजना पर काम शुरू किया गया है। योजना के तहत कैफे, हर्बल गार्डन, योग-ध्यान हॉल, पौराणिक रसोईघर और बैंक भवन का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

84 ध्यान कुटियों की मरम्मत, सत्संग हॉल भी संवरेगा

राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों से आए अनुभवी कारीगर 84 ध्यान कुटियों की मरम्मत में जुटे हैं। इसके साथ ही क्षतिग्रस्त सत्संग हॉल को भी पूरी तरह से संवारने की तैयारी की जा रही है। पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रवेश और निकासी के लिए दो नए गेट, नया टिकट काउंटर और वाहन पार्किंग की बेहतर व्यवस्था भी विकसित की जा रही है।

जानिए चौरासी कुटिया का ऐतिहासिक महत्व

वर्ष 1961 में महर्षि महेश योगी ने करीब 7.5 हेक्टेयर भूमि पर इस आश्रम की स्थापना की थी। वर्तमान में यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व की गोहरी रेंज में आता है। आश्रम में 140 गुंबदनुमा संरचनाएं और 84 ध्यान योग कुटियां हैं। वर्ष 2000 में वन विभाग ने इसे अपने अधीन ले लिया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह जर्जर हो गया था।

बीटल्स से जुड़ी है अंतरराष्ट्रीय पहचान

वर्ष 1967-68 में विश्वप्रसिद्ध बीटल्स बैंड के सदस्य जॉन लेनन, पॉल मैककार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार यहां एक वर्ष तक रहे थे। यहीं उन्होंने भावातीत ध्यान की दीक्षा ली और 48 गीतों की रचना की, जिनमें से 18 गीत प्रसिद्ध एल्बम द व्हाइट में शामिल किए गए। इसके बाद यह स्थल दुनियाभर में बीटल्स आश्रम के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

क्या बोले अधिकारी

स्मार्ट सिटी के सहायक अभियंता शरीन कुमार के अनुसार,
चौरासी कुटिया का जीर्णोद्धार बिना मूल स्वरूप बदले किया जा रहा है। डेढ़ साल के भीतर कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

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