भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की 157वीं पासिंग आउट परेड कई मायनों में खास रही। जहां एक ओर युवा कैडेट्स के कंधों पर सजे सितारों ने देशसेवा की नई शुरुआत का संकेत दिया, वहीं दूसरी ओर कुछ कहानियां ऐसी भी रहीं जिन्होंने परेड को भावनात्मक और प्रेरणादायक बना दिया। इन्हीं में से एक कहानी है लेफ्टिनेंट बने आयुष पाठक की, जिनके लिए यह पल न सिर्फ सपनों की उड़ान था, बल्कि प्रेम और समर्पण की जीत भी।
मथुरा निवासी आयुष पाठक का सेना से जुड़ाव केवल एक करियर विकल्प नहीं, बल्कि पारिवारिक विरासत का हिस्सा है। उनके पिता महादेव पाठक भारतीय वायुसेना में वारंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। बहन निधि पाठक भारतीय सेना में कैप्टन हैं, जबकि जीजा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में देश की सेवा कर रहे हैं। मां मंजू पाठक गृहिणी हैं, जिन्होंने परिवार को मजबूत संस्कारों की नींव दी।
आयुष की निजी जिंदगी भी उतनी ही खास है जितनी उनकी पेशेवर उपलब्धि। उनकी मंगेतर रोहिनी स्वयं भारतीय सेना में कैप्टन हैं। दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानते हैं और पारिवारिक मित्र होने के कारण उनके बीच दोस्ती की मजबूत नींव रही। समय के साथ यह दोस्ती प्रेम में बदली और परिवार की सहमति से यह रिश्ता मंगनी तक पहुंचा।
खास बात यह रही कि दोनों ने अलग-अलग स्थानों पर रहते हुए भी एक ही सपना देखा—भारतीय सेना की वर्दी पहनने का। तैयारी के दौरान दोनों ने एक-दूसरे को न केवल प्रेरित किया, बल्कि हर कठिन दौर में संबल भी बने। आयुष मानते हैं कि उनकी इस सफलता में रोहिनी की भूमिका बेहद अहम रही।
आयुष ने पहले ही प्रयास में एसीसी परीक्षा उत्तीर्ण कर यह साबित कर दिया कि मेहनत, अनुशासन और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना हासिल किया जा सकता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय कैंट, मथुरा से हुई।
157वीं पासिंग आउट परेड में आयुष पाठक की कहानी यह संदेश देती है कि जब सपने, प्रेम और समर्पण एक साथ चलें, तो सफलता खुद रास्ता बना लेती है।
