डामकोठी में शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें हरिद्वार कुंभ 2027 के लिए स्नान तिथियों की आधिकारिक घोषणा की गई। बैठक में कुंभ को दिव्य, भव्य और सुरक्षित बनाने की तैयारियों पर विस्तार से मंथन हुआ।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि हरिद्वार कुंभ को लेकर पूरे देश की बड़ी उम्मीदें हैं और अखाड़ों का प्रमुख दायित्व एक उत्कृष्ट आयोजन सुनिश्चित करना है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा तैयारियों के शंखनाद को सराहनीय बताया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कुंभ आयोजन में संतों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है और उनकी परंपराओं व आवश्यकताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 13 जनवरी 2027 से कुंभ मेले की शुरुआत होगी और आगे की प्रमुख स्नान तिथियां इस प्रकार रहेंगी—
14 जनवरी (मकर संक्रांति), 6 फरवरी (मौनी अमावस्या), 11 फरवरी (वसंत पंचमी), 20 फरवरी (माघ पूर्णिमा), 6 मार्च (महाशिवरात्रि – अमृत स्नान), 8 मार्च (फाल्गुन अमावस्या – अमृत स्नान), 7 अप्रैल (नव संवत्सर), 14 अप्रैल (मेष संक्रांति – अमृत स्नान), 15 अप्रैल (राम नवमी), 20 अप्रैल (चैत्र पूर्णिमा).
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार कुंभ को ऐतिहासिक बनाने के लिए अभी से बड़े स्तर पर काम कर रही है। वर्ष 2021 का कुंभ कोविड के कारण सीमित था, जबकि 2027 का मेगा आयोजन कई मायनों में रिकॉर्ड-breaking होगा। इस बार श्रद्धालुओं की संख्या 2010 और 2021 के मुकाबले कई गुना ज्यादा होने का अनुमान है।
सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर पुलिस, स्वास्थ्य, एनडीआरएफ, फायर तथा अन्य विभागों को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं। भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक प्लानिंग, आपातकालीन प्रतिक्रिया, घाटों की स्वच्छता, जल निकासी, कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष टीमें तैनात की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने के संकल्प को ध्यान में रखते हुए कुंभ 2027 को सबसे भव्य और सुरक्षित रूप देने का लक्ष्य रखा गया है।


