राज्य में प्रतिबंधित कफ सीरप और दवाओं के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग व खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की संयुक्त टीमों ने शनिवार को एक साथ कार्रवाई की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर शुरू हुए इस अभियान के तहत देहरादून सहित सभी जिलों में औषधि दुकानों, अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की जांच की गई।
यह कदम राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सीरप से हुई बच्चों की मौतों के बाद उठाया गया है।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि एफडीए टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं। दोषी पाए जाने पर दवा कंपनियों या विक्रेताओं पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे संदिग्ध कफ सीरप के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला में परीक्षण कराएं। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित दवाएं न लिखें।
केंद्र की एडवाइजरी के अनुसार, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी-जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए। चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए डेक्स्ट्रोमेथोर्फन, क्लोरफेनिरामाइन मेलेट, और फिनाइलेफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड युक्त दवाओं का उपयोग प्रतिबंधित है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं होगा।


