रविवार सुबह हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में उस समय अफरातफरी मच गई जब दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ में भगदड़ हो गई। हादसे में अब तक 8 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें एक 10 वर्षीय बालक भी शामिल है, जबकि 45 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से शाम सात बजे तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती 15 में से आठ घायलों को डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि सात का इलाज जारी है। इनमें चार की हालत गंभीर बनी हुई है। हरिद्वार जिला अस्पताल में भर्ती 25 में से 24 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं मेला अस्पताल के सभी पांच घायल भी छुट्टी पा चुके हैं।
हादसे के चश्मदीद फरीदाबाद निवासी संतोष कुमार ने बताया कि एक ही मार्ग से आने-जाने की अव्यवस्था के चलते लोग दीवारों पर लगी बिजली की तारों को पकड़कर खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान किसी को करंट लगने की बात कही गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ शुरू हो गई।
श्रद्धालुओं के लिए यह दिन भक्ति से भरा होना था, लेकिन अव्यवस्थाओं और सुरक्षा चूक ने इसे एक दर्दनाक हादसे में तब्दील कर दिया। अब सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भीड़ प्रबंधन की तैयारी कितनी प्रभावी थी?

