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    Home»राष्ट्रीय»सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों का महत्वपूर्ण कर्तव्य- सुप्रीम कोर्ट
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    सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों का महत्वपूर्ण कर्तव्य- सुप्रीम कोर्ट

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalJanuary 16, 2025No Comments3 Mins Read
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    पुरुषों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडरों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा हो – सुप्रीम कोर्ट

    नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों का महत्वपूर्ण कर्तव्य है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है कि ऐसी सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों। उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है कि ऐसी सुविधाएं सभी के लिए सुलभ हों। एक वकील की दायर जनहित याचिका पर कई निर्देश जारी करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्ट, राज्य सरकारों व केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि वे देशभर के सभी न्यायालय परिसरों और न्यायाधिकरणों में पुरुषों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडरों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

    जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है और पर्याप्त सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण से निजता की रक्षा होती है तथा महिलाओं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए खतरा दूर होता है। हाईकोर्ट यह सुनिश्चित करें कि ये सुविधाएं न्यायाधीशों, वकीलों, वादियों और न्यायालय के कर्मचारियों के लिए स्पष्ट रूप से पहचान योग्य और सुलभ हों। पीठ ने कहा कि इस मकसद के लिए हर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की ओर से नामित न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।

    समिति के सदस्यों में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल/रजिस्ट्रार, मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव और राज्य के वित्त सचिव, बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि और कोई अन्य अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति छह सप्ताह की अवधि के अंदर गठित की जाएगी। पीठ ने देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा के पास बने सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति पर भी चिंता जताई तथा कहा कि इनका रखरखाव बहुत कम होता है तथा ये सुलभ भी नहीं हैं।

    पीठ ने समिति को एक व्यापक योजना तैयार करने और औसतन प्रतिदिन अदालतों में आने वाले व्यक्तियों की संख्या का आंकड़ा रखने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पर्याप्त पृथक शौचालयों का निर्माण और रखरखाव किया जाए। यह शौचालय सुविधाओं की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे में कमी और उनके रखरखाव के संबंध में एक सर्वेक्षण भी करेगा।

    पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र न्यायालय परिसर में शौचालय सुविधाओं के निर्माण, रखरखाव और सफाई के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करेंगे। इसकी हाईकोर्ट की ओर से गठित समिति के परामर्श से समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। सभी हाईकोर्टों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की ओर से चार महीने की अवधि के अंदर एक स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी।

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