Dainik UjalaDainik Ujala
    What's Hot

    जनपद टिहरी की उषा, ग्रामीण महिलाओं को दे रही है रोजगार

    June 8, 2025

    दर्दनाक दुर्घटना: उत्तरकाशी में अनियंत्रित पिकअप वाहन सड़क से नीचे गिरा… 2 की मौत

    June 7, 2025

    थराली बैली ब्रिज निर्माण में लापरवाही उजागर, सीएम धामी ने चार इंजीनियर किए निलंबित

    June 6, 2025
    Facebook Twitter Instagram
    Sunday, June 8
    Facebook Twitter Instagram
    Dainik Ujala Dainik Ujala
    • अंतर्राष्ट्रीय
    • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
      • अल्मोड़ा
      • बागेश्वर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • देहरादून
      • हरिद्वार
      • नैनीताल
      • रुद्रप्रयाग
      • पौड़ी गढ़वाल
      • पिथौरागढ़
      • टिहरी गढ़वाल
      • उधम सिंह नगर
      • उत्तरकाशी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • अन्य खबरें
    • संपर्क करें
    Dainik UjalaDainik Ujala
    Home»ब्लॉग»पटाखों के चलते हिंसा और हत्या
    ब्लॉग

    पटाखों के चलते हिंसा और हत्या

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalNovember 8, 2024No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest WhatsApp LinkedIn Tumblr Email Telegram
    Share
    Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Pinterest

    चेतन उपाध्याय
    इस दीपावली पर पटाखे के कारण देश में जो कुछ हुआ हैं, उनमें से ज्यादातर में हिन्दू बनाम हिन्दू का मामला है। और निष्कर्ष है कि पटाखों के चलते हिंसा और हत्या के ज्यादातर मामलों में, लड़ाई हिन्दू बनाम हिन्दू की है। कोई 8वीं पास विद्यार्थी भी इंटरनेट पर ये सारे सबूत देख सकता है। यानी कि पटाखों ने हिन्दुओं को आपस में ही बँटने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि यह भी सच है कि धर्म विरोधी का तमगा मिल जाने के डर से अधिकाँश लोग इस सबको चुपचाप सह लेते हैं।

    दूसरी बात यह है कि पटाखे के विरोध में गाँव-गाँव और मोहल्ले-मोहल्ले में हो रहे भयंकर विरोध और हिंसा के तमाम मामले थाने और मीडिया तक पहुँचते ही नहीं हैं। धर्म, परंपरा और उत्सव की आड़ में गुंडागर्दी और अराजकता है। और यह देशहित में नहीं है।

    कड़वा सच है कि दीपावली का पटाखा हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाने का माध्यम बन गया है। उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में पुलिस और प्रशासन की जानकारी में ऐसे सैकड़ों मामले हैं जहाँ पर पर्व की आड़ में पटाखे का इस्तेमाल अपने दुश्मनों को सताने और हत्या करने में किया जा रहा है। पटाखे के कारण खुशियों का त्योहार नफरत, हिंसा और मातम का त्योहार बन गया है।

    विदेशों में हरियाली का प्रतिशत बहुत ज्यादा होता है और यह हरियाली, आतिशबाजी के शोर और धुंए को सोख लेती है। साथ ही विदेशों में पटाखा फोडऩे के लिए एक बड़ा मैदान होता है जहाँ फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी तैयार रहती है। भारत देश में भी बड़े लोगों के घर के पास आप पटाखा नहीं फोड़ सकते, मगर आम आदमी के साथ,आये दिन कभी  धर्म की आड़ में डी.जे. तो कभी पटाखे की ऐसी गुंडागर्दी होती ही रहती है और ‘धार्मिक’ मामला बताकर पुलिस पल्ला झाड़ लेती है।

    फिर पुलिस के मूकदर्शक बनने के बाद अपनी और अपने परिवार के सदस्य की जान बचाने के लिए जो भी आदमी, जानलेवा पटाखे का विरोध करता है, उसको धर्म विरोधी कह कर मार दिया जाता है मानो कि पटाखे से लोहवान, गुग्गुलु और चंदन की दिव्य महक आती हो। यह गुंडागर्दी बंद होनी चाहिए।

    इसलिए सरकार को चाहिए कि वह आम जनता के साथ ही कोर्ट को बताए कि जिस आतिशबाजी के कारण हर साल अरबों रुपये की संपत्ति आग में स्वाहा हो जाती है, जिस आतिशबाजी के चलते बेजुबान जानवरों की जान खतरे में पड़ जाती है, जिस आतिशबाजी के कारण देश भर के करोड़ों अस्थमा मरीज तड़पड़ाते हैं, जिस पटाखे के कारण लोग अपनी आँख की रोशनी और सुनने की क्षमता खो दे रहे हैं, जिस पटाखे के शोर और धुएं को रोकने की लड़ाई में लोग आपस में मर-कट कर पुलिस और कोर्ट का बोझ बढ़ा रहे हों, वह पटाखा किसी भी धर्म और परम्परा का हिस्सा नहीं हो सकता।

    पटाखे पूरी तरह से बंद हो। ना तो शादी-विवाह में, ना दीपावली-होली पर, ना ईद-बारावफात में और ना ही क्रिसमस-नए साल पर। 1947 से पहले और फिर 1947 से 2024 तक क्या हुआ, इसकी चर्चा में समय नहीं गँवा कर, व्यापक जनहित में अभी से पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सख्त जरुरत है। बारूद की गंध फैलाने का कार्य बंद होना चाहिए और बिना किसी धार्मिक भेदभाव के, साल के 365 दिन, पटाखों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। किसी भी सभ्य समाज में पटाखों का कोई स्थान नहीं है और बारूदी दुर्गंध फैलाने वाले पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाना ही एकमात्र विकल्प है। ना रहेगा बाँस और ना बजेगी बाँसुरी।

    Share. Facebook WhatsApp Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram
    Avatar photo
    Amit Thapliyal

    Related Posts

    आधुनिकता के अनेक सार्थक पक्ष भी हैं जो समाज को बेहतर बनाते हैं

    January 3, 2025

    दक्षेस से भारत को सतर्क रहने की जरूरत

    January 2, 2025

    एक अच्छे, भले और नेक प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

    January 1, 2025

    बिजली चोरी या फिर अवैध निर्माण जवाबदेही तय हो

    December 31, 2024
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    © 2025 Dainik Ujala.
    • Home
    • Contact Us

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version