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    Home»उत्तराखंड»देहरादून में नाश्ते के लिए प्रसिद्ध है पाकिस्तान के मामा जी कतलंबे वाले, जानिए कहां मिलेगा इसका स्वाद
    उत्तराखंड

    देहरादून में नाश्ते के लिए प्रसिद्ध है पाकिस्तान के मामा जी कतलंबे वाले, जानिए कहां मिलेगा इसका स्वाद

    adminBy adminAugust 8, 2024No Comments2 Mins Read
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    देहरादून में नाश्ते के लिए प्रसिद्ध है पाकिस्तान के मामा जी कतलंबे वाले, जानिए कहां मिलेगा इसका स्वाद
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    देहरादून का स्ट्रीट फूड सिर्फ मोमो और चाउमिन तक ही सीमित नहीं है। यहां आप सबसे प्रसिद्ध सुबह का नाश्ता भी पा सकते हैं। सबसे मशहूर छोले कतलंबे आपको देहरादून में कई जगहों पर मिल जाएंगे, लेकिन मामा जी कतलंबे कार्ट का क्रेज इतना है कि आप इसे खाए बिना नहीं रह पाएंगे।
    <h2 class=”wp-block-heading”>पाकिस्तान का मशहूर व्यंजन है कतलंबे और छोले</h2>
    पलटन बाजार की सब्जी मंडी में टमाटर वाली गली के ठीक सामने मामा जी की विशेष कतलंबे गाड़ी लगती है। मामा जी के कतलम्बा इतने प्रसिद्ध हैं कि लोग लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। हम आपको बताना चाहते हैं कि छोले कतलंबे एक पाकिस्तानी व्यंजन है, लेकिन यह पंजाब में भी लोकप्रिय है, इसलिए यह व्यंजन आधा पंजाबी और आधा पाकिस्तानी है। देहरादून में कई शरणार्थी आकर बसे जिन्होंने इस व्यंजन को खास बना दिया।

    मामा जी कतलंबे कार्ट के मालिक का कहना है कि यह सुबह का नाश्ता एक तरह का व्यंजन है जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। कतलंबे आटे से बनाया जाता है। इसे एक बार बनाने के बाद 10 से 15 दिन तक घर में रखकर खाया जा सकता है। कतलंबे इतने दिनों तक बिना खराब हुए खाने योग्य रहता है।

    देहरादून में कई लोग रिफाइंड तेल में कतलम्बा बना रहे हैं लेकिन रिफाइंड में बनाया गया कतलम्बा लंबे समय तक नहीं चलता है और उनमें कतलम्बा का असली स्वाद भी नहीं होता है। मामा जी अपना कतलम्बा डालडा घी में बनाते हैं। कतलम्बा बनाने की यह बहुत पुरानी विधि है।
    <h3 class=”wp-block-heading”>पलटन बाजार की गलियों में 40 साल से लग रहा है ठेला</h3>
    दुकान के मालिक ने बताया कि वह पिछले 40-45 सालों से देहरादून के पल्टन बाजार स्थित सब्जी मंडी में टमाटर वाली गली में यह ठेला लगाते हैं. उन्होंने बताया कि पहले उनके जीजा यह काम करते थे और उनसे पहले उनके जीजा के उस्ताद राम उस्ताद यह काम करते थे. भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद देहरादून आये राम उस्ताद को कतलंबे व्यंजन को राजधानी देहरादून में लाने का श्रेय दिया जाता है।
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