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    Home»उत्तराखंड»9 साल बाद अपने मूलस्थान पर लौटी धारी देवी, 2013 में मूर्ति हटाते ही आई थी प्रलय
    उत्तराखंड

    9 साल बाद अपने मूलस्थान पर लौटी धारी देवी, 2013 में मूर्ति हटाते ही आई थी प्रलय

    adminBy adminJanuary 30, 2023No Comments2 Mins Read
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    9 साल बाद अपने मूलस्थान पर लौटी धारी देवी, 2013 में मूर्ति हटाते ही आई थी प्रलय
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    राज्य के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर धारी देवी मंदिर भी है । सन 2013 में धारी देवी मां की मूर्ति को उनके स्थान से हटाकर दूसरी जगह स्थापित किया गया था लेकिन अब लंबे इंतजार के बाद बीते 28 जनवरी को माता धारी देवी की मूर्ति को उनके स्थान पर विराजमान कर दिया गया है। चार धाम की रक्षक कहीं जाने वाली मां धारी देवी की मूर्ति को 9 वर्ष बाद पुनः उनके स्थान पर विराजमान किया गया। कई श्रद्धालुओं और पंडितों ने इस दिन के लिए लंबा इंतजार किया था मंदिर में मूर्ति स्थापित करने से पूर्व 24 जनवरी से ही मंदिर परिसर में धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए थे जिसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर 28 जनवरी की सुबह को धारी देवी मां की मूर्ति को उनके स्थान पर विराजित किया गया। बता दें कि 2013 में आई केदारनाथ की बाढ़ के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ गया था जिसके कारण मंदिर बहने के खतरे को देखते हुए उस समय मूर्ति को वहां से हटाकर दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

    मंदिर में मूर्ति स्थापित करने की शुभ अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सांसद तीरथ सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को भी निमंत्रण भेजा गया था इसके साथ ही कई मंदिरों के बड़े पुजारियों को भी मंदिर में आने का आमंत्रण भेजा गया था। बताते चलें कि मां धारी देवी का यह मंदिर माता काली को समर्पित है इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह कि इस मंदिर में स्थापित मां धारी देवी की प्रतिमा 1 दिन में तीन रूप बदलती है सुबह के समय मूर्ति एक कन्या के जैसी लगती है। दिन के समय मूर्ति एक महिला की तरह दिखती है जबकि शाम होते ही मूर्ति की छवि एक बूढ़ी महिला के समान दिखने लगती है धारी देवी माता के मंदिर को चार धाम का रक्षक भी कहा जाता है वही लाखों लोगों की श्रद्धा भी इस मंदिर से जुड़ी हुई है।बता दें कि धारी देवी माता का मंदिर श्रीनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर कलियासोड नामक स्थान पर स्थित है।मूर्ति को स्थापित करने के लिए यहां 21 पंडितों द्वारा महा अनुष्ठान किया गया था।

     

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