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    Home»उत्तराखंड»धामी सरकार में पिटकुल की ऐतिहासिक उपलब्धि – सीमांत क्षेत्रों को दी रोशन भविष्य की सौगात
    उत्तराखंड

    धामी सरकार में पिटकुल की ऐतिहासिक उपलब्धि – सीमांत क्षेत्रों को दी रोशन भविष्य की सौगात

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalApril 3, 2025No Comments4 Mins Read
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    MD पीसी ध्यानी के कुशल नेतृत्व में पिटकुल ने सफलतापूर्वक पूरे किए बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट

    220/33 के.वी. उपसंस्थान, बरम एवं 220 के.वी. बरम-जौलजीबी पारेषण लाइन ऊर्जीकृत

    देहरादून। उत्तराखंड की ऊर्जा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में पिटकुल (पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश के ऊर्जावान, युवा एवं यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में एवं प्रमुख सचिव (ऊर्जा) डॉ. आर. मीनाक्षी सुन्दरम के मार्गदर्शन में 220/33 के.वी. उपसंस्थान, बरम एवं 220 के.वी. बरम-जौलजीबी पारेषण लाइन को सफलतापूर्वक ऊर्जीकृत कर दिया गया है। यह परियोजना उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में निर्बाध एवं गुणवत्ता युक्त विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगी।

    तेजी से पूर्ण हुआ बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा से पावरग्रिड जौलजीबी छोर पर सभी आवश्यक तकनीकी परीक्षण पूरे करने के उपरांत 31 मार्च 2025 को इस महत्वपूर्ण परियोजना को ऊर्जीकृत किया गया। यह परियोजना लंबे समय से प्रतीक्षित थी, जिसे पिटकुल के प्रबंध निदेशक पी.सी. ध्यानी एवं निदेशक (परिचालन) जी.एस. बुदियाल के नेतृत्व में प्रभावी अनुश्रवण एवं विभिन्न ऊर्जा इकाइयों से समन्वय स्थापित कर सफलता पूर्वक पूरा किया गया।

    सीमांत क्षेत्रों को मिलेगी निर्बाध बिजली

    इस परियोजना से विशेष रूप से जनपद पिथौरागढ़ के सीमांत तहसील धारचूला, मुनस्यारी एवं डीडीहाट में बिजली आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, भारतीय सेना, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआईएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों के अधिष्ठानों को भी उच्च गुणवत्ता वाली विद्युत आपूर्ति मिलेगी। इस परियोजना के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय जनता को स्वरोजगार, उद्यमिता विकास एवं कुटीर उद्योगों के विस्तार के नए अवसर मिलेंगे।

    भारत-नेपाल सीमा पर सामरिक मजबूती

    यह उपकेंद्र भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप स्थित होने के कारण सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। धामी सरकार की मजबूत ऊर्जा नीति एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम को गति देने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास इस परियोजना से और तेजी से होगा।

    ऊर्जा निकासी की नई संभावनाएं

    इस परियोजना के सफल ऊर्जीकृत होने से यूजेवीएन लिमिटेड की सुरिंगाड जल विद्युत परियोजना की ऊर्जा निकासी संभव हो गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के गुंजी, गंगोलीहाट, जौलजीबी, मुनस्यारी, धारचूला, नाचनी और तवाघाट जैसे क्षेत्रों में 33 के.वी. फीडरों से बिजली आपूर्ति और सुचारू होगी। इससे ट्रिपिंग की समस्या कम होगी और लाइन लॉस में भी कमी आएगी।

    नवीन जल विद्युत परियोजनाओं को मिलेगी मजबूती

    इस परियोजना के पूर्ण होने से पिथौरागढ़ जनपद में राज्य, केंद्र एवं निजी क्षेत्र की निर्माणाधीन एवं प्रस्तावित मध्यम एवं लघु जल विद्युत परियोजनाओं जैसे मोतीघाट, टांगा, मदकिनी, ओकली-1, ओकली-2, बुर्थिग, फुलीबगड़, सिरकारी, म्योल, रूपसियाबगड़, पैनागाड़, जिम्बागाड़, तान्कुल, कन्च्यौती, छिरकिला, रेलागाड़, जिम्बा, मारम, रालम, भैंसिनी, उड्यार, सिम्पू, उधारफ्यूनशानी, सेला, उर्थिग आदि से उत्पादित ऊर्जा का ग्रिड तक पारेषण सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे लगभग 432 मेगावाट विद्युत उत्पादन संभव होगा, जिससे प्रदेश को अतिरिक्त ऊर्जा आपूर्ति प्राप्त होगी।

    मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा विभाग को धन्यवाद

    इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पिटकुल के प्रबंध निदेशक पी.सी. ध्यानी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रमुख सचिव (ऊर्जा) डॉ. आर. मीनाक्षी सुन्दरम का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने पिटकुल के अधिकारियों की टीम – मुख्य अभियंता ईला चन्द्र, महाप्रबंधक (वित्त) मनोज कुमार, वरिष्ठ लेखाधिकारी तरूण सिंघल एवं अधिशासी अभियंता राजीव सिंह के नेतृत्व में कार्यरत सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मेहनत की सराहना की।

    उत्तराखंड ऊर्जा क्षेत्र में नए आयाम

    धामी सरकार के नेतृत्व में ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे व्यापक सुधारों के तहत पिटकुल ने इस वर्ष कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। यह परियोजना न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करेगी बल्कि राज्य के ऊर्जा उत्पादन एवं आपूर्ति में भी नए आयाम स्थापित करेगी। यह धामी सरकार की ऊर्जा विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और उत्तराखंड को आत्मनिर्भर ऊर्जा प्रदेश बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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