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    Home»उत्तराखंड»उत्तराखंड में सियासी बयानबाजियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी ने खींची लक्ष्मण रेखा
    उत्तराखंड

    उत्तराखंड में सियासी बयानबाजियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी ने खींची लक्ष्मण रेखा

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalApril 2, 2025No Comments4 Mins Read
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    सियासी तूफान के बीच स्थिरता की गारंटी – धामी के समर्थन में आया हाईकमान

    देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तीन साल के कार्यकाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिट्ठी सिर्फ एक औपचारिक पत्र नहीं बल्कि एक बड़ा सियासी संदेश भी है। यह उन नेताओं और सियासी विश्लेषकों के लिए स्पष्ट जवाब है जो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के कयास लगा रहे थे। ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के किसी मुख्यमंत्री को इस तरह से व्यक्तिगत पत्र भेजकर न केवल उनकी सराहना की, बल्कि सरकार की स्थिरता का भी परोक्ष रूप से संदेश दिया।

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में लिखा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार का तीन साल का कार्यकाल “सेवा, सुशासन और विकास” को समर्पित रहा, जो राज्य के समग्र उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड अपनी विरासत पर गर्व करते हुए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और यह दशक उत्तराखंड का होगा। यह शब्द महज औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि गहरे राजनीतिक संकेत समेटे हुए हैं।

    बयानबाजियों के बीच ‘चिट्ठी’ का वार

    उत्तराखंड की राजनीति पिछले कुछ समय से काफी गर्म रही है। भाजपा के ही कुछ बड़े नेताओं और सांसदों के बयानों ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कयासों को हवा दी। कुछ बयान ऐसे आए, जिन्होंने सामाजिक और राजनीतिक माहौल को असामान्य बनाने का प्रयास किया। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि क्या उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका तैयार हो रही है? इस बीच दिल्ली तक राजनीतिक दौड़-धूप बढ़ गई, शक्ति प्रदर्शन के लिए गुप्त सभाएं भी होने लगीं। लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने इन सबके बावजूद संयम बनाए रखा और अपने काम में निरंतरता बरकरार रखी।

    ऐसे में 1 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी का सार्वजनिक होना इन अफवाहों और अटकलों पर विराम लगाने जैसा था। इस पत्र के सार्वजनिक होते ही सियासी पारा ठंडा पड़ने लगा। यह संदेश सिर्फ मुख्यमंत्री धामी के लिए नहीं था, बल्कि उन लोगों के लिए भी था जो राज्य की राजनीतिक स्थिरता को लेकर अनिश्चितता की बातें कर रहे थे।

    समय का खेल : संयोग या रणनीति.?

    23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने तीन साल पूरे किए। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से यह चिट्ठी 29 मार्च को जारी हुई और फिर इसे 1 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया। यह टाइमिंग महज संयोग नहीं मानी जा सकती। इसके निहितार्थ साफ हैं– हाईकमान मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व को स्वीकार करता है और राज्य में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना को दरकिनार करता है।

    प्रधानमंत्री मोदी पहले भी सार्वजनिक मंचों पर मुख्यमंत्री धामी की तारीफ कर चुके हैं। हाल ही में जब प्रधानमंत्री शीतकालीन प्रवास पर उत्तराखंड आए थे, तब उन्होंने धामी को ‘छोटा भाई’ और ‘ऊर्जावान’ मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया था। भाषण के बाद जब मुख्यमंत्री धामी प्रधानमंत्री के पास पहुंचे, तो उन्होंने न केवल गर्मजोशी से हाथ मिलाया, बल्कि उनकी पीठ थपथपाकर प्रोत्साहित भी किया। यह इशारा उन लोगों के लिए था जो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीद लगाए बैठे थे।

    महत्वपूर्ण निर्णयों को मिली सराहना

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली और उनके द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को केंद्र सरकार और भाजपा हाईकमान का समर्थन मिला है। समान नागरिक संहिता (UCC) के मसौदे को लागू करने का साहसिक कदम हो या 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन, धामी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो राज्य की राजनीति और विकास को नई दिशा दे सकतेग हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुद कई बार इन फैसलों की सराहना कर चुके हैं।

    चिट्ठी से स्थिरता का स्पष्ट संदेश

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह चिट्ठी सिर्फ बधाई संदेश नहीं बल्कि सरकार की स्थिरता का ऐलान भी है। इसमें यह संकेत साफ है कि भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व से संतुष्ट है और राज्य में किसी भी तरह के नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। चिट्ठी का संदेश बयानबाजियों को करारा जवाब देता है और प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता को लेकर एक स्पष्ट रेखा खींचता है।

    अगले कदम क्या.?

    उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा किस रणनीति के साथ उतरेगी, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री धामी को नेतृत्व सौंपने के फैसले पर पार्टी हाईकमान पूरी तरह से अडिग है। इस चिट्ठी ने न केवल बयानबाजियों को शांत किया है बल्कि धामी सरकार के आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया है।

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