Dainik UjalaDainik Ujala
    What's Hot

    दर्दनाक दुर्घटना: उत्तरकाशी में अनियंत्रित पिकअप वाहन सड़क से नीचे गिरा… 2 की मौत

    June 7, 2025

    थराली बैली ब्रिज निर्माण में लापरवाही उजागर, सीएम धामी ने चार इंजीनियर किए निलंबित

    June 6, 2025

    उत्तराखंड: कब तक इंतजार? बेरोजगार युवाओं ने मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति

    June 5, 2025
    Facebook Twitter Instagram
    Saturday, June 7
    Facebook Twitter Instagram
    Dainik Ujala Dainik Ujala
    • अंतर्राष्ट्रीय
    • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
      • अल्मोड़ा
      • बागेश्वर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • देहरादून
      • हरिद्वार
      • नैनीताल
      • रुद्रप्रयाग
      • पौड़ी गढ़वाल
      • पिथौरागढ़
      • टिहरी गढ़वाल
      • उधम सिंह नगर
      • उत्तरकाशी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • अन्य खबरें
    • संपर्क करें
    Dainik UjalaDainik Ujala
    Home»उत्तराखंड»अब पहाड़ का बुरांश देगा कोरोना को मात… वैज्ञानिकों के हाथ लगी ये बड़ी सफलता
    उत्तराखंड

    अब पहाड़ का बुरांश देगा कोरोना को मात… वैज्ञानिकों के हाथ लगी ये बड़ी सफलता

    adminBy adminJanuary 18, 2022No Comments2 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest WhatsApp LinkedIn Tumblr Email Telegram
    अब पहाड़ का बुरांश देगा कोरोना को मात… वैज्ञानिकों के हाथ लगी ये बड़ी सफलता
    Share
    Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Pinterest

    भारत में कोरोना के मामले इन दिनों फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बरकरार रखने और वैक्सीन लगवाने को ही संक्रमण से बचने का उपाय माना जा रहा है, लेकिन जल्द ही कोरोना की एक ऐसी दवा आ सकती है, जो कोरोना मरीजों के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं होगी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) के रिसर्चर्स ने हिमालय की पहाड़ियों में मिलने वाले एक पौधे में कोरोना का इलाज ढूंढ निकाला है। बुरांश का पौधा समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है। ये उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है और इसकी वहां के स्थानीय समुदाय में बेहद मान्यता है।

    हिमालयी पौधे बुरांश के अर्क से कोरोना वायरस दूर भागेगा। वैज्ञानिकों ने बुरांश की पंखुड़ियों में ऐसे फाइटोकैमिकल्स की पहचान की है जो शरीर में कोविड 19 के वायरस को रोकने में सक्षम होगा। शोध टीम के निष्कर्ष को बायोमोलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। बता दें कि हिमालयी बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन अरबोरियम है। इसकी पंखुड़ियों का सेवन स्थानीय आबादी स्वास्थ्य संबंधी कई लाभों के लिए विभिन्न रूपों में करती है। हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बुरांश का पौधा काफी पाया जाता है।

    इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के डॉक्टर रंजन नंदा कहते हैं कि बुरांश के फाइटोकैमिकल शरीर में दो तरह से काम करते हैं। सबसे पहले ये कोरोना में मिलने वाले एक ऐसे एंजाइम से जुड़ जाते हैं, जो वायरस को अपना डुप्लीकेट बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, ये हमारे शरीर में मिलने वाले ACE-2 एंजाइम से भी जुड़ जाते हैं। ACE-2 एंजाइम के जरिए ही वायरस हमारी बॉडी में प्रवेश करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, फाइटोकैमिकल की इस जुड़ने की प्रक्रिया के कारण कोरोना वायरस हमारी बॉडी के सेल्स (कोशिकाओं) को इन्फेक्ट नहीं कर पाता और संक्रमण का खतरा टल जाता है।

    बुरांश की पंखुड़ियों के दूसरे फायदे

    बुरांश के फूलों से बने शरबत को हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। ये पंखुड़ियां जुकाम, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द और बुखार को आराम देने के काम आती हैं। स्थानीय लोग इसका उपयोग स्क्वाश और जैम बनाने में करते हैं। साथ ही, इसकी चटनी को आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पसंद किया जाता है।

    buransh corona virus devbhumi news devbhumi samachar pahad news pahad samachar uttarakhand news uttarakhand samachar उत्तराखंड न्यूज़ देवभूमि न्यूज़ देवभूमि समाचार पहाड़ न्यूज़. उत्तराखंड समाचार पहाड़ समाचार
    Share. Facebook WhatsApp Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram
    admin
    • Website

    Related Posts

    अंकिता भंडारी को मिला न्याय…दोषियों कों मिली सजा, धामी सरकार की सख्ती और संवेदनशीलता ने दिलाया भरोसा

    May 30, 2025

    राशन विक्रेताओं के बकाया लाभांश भुगतान जल्द- रेखा आर्या

    May 27, 2025

    30 जून से शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

    April 22, 2025

    उत्तराखंड: ट्रेन की चपेट में आने से हाथी की मौत, वन विभाग के मचा हड़कंप

    April 16, 2025
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    © 2025 Dainik Ujala.
    • Home
    • Contact Us

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version