उपनल कर्मचारियों की नियमितीकरण की लंबे समय से लंबित मांग एक बार फिर गर्मा गई है। गुरुवार को राज्यभर के उपनल कर्मचारी परेड ग्राउंड में एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का कहना है कि लगातार आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनकी नियमितीकरण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिससे उनमें गहरा रोष है।
2018 के हाईकोर्ट आदेश पर कार्रवाई न होने से बढ़ा आक्रोश
कर्मचारियों ने बताया कि वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से नियमित किए जाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद सरकार अब तक उनके मामले पर ठोस निर्णय नहीं ले पाई है।
उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि आठ महीने पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी, लेकिन आज तक यह समिति कर्मचारियों के वास्तविक आंकड़े भी तैयार नहीं कर सकी है।
उनके अनुसार, हजारों उपनल कर्मचारी विभिन्न विभागों में बेहद कम मानदेय पर काम कर रहे हैं और शासन-प्रशासन उनकी स्थिति को समझने में असफल रहा है।
सरकार से ठोस नीति लाने की मांग
मोर्चा पदाधिकारियों प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट और महामंत्री विनय प्रसाद ने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द एक स्पष्ट नियमितीकरण नीति नहीं बनाती, तो राज्यभर में आंदोलन और व्यापक हो जाएगा।
कुमाऊं मंडल अध्यक्ष मोहन रावत ने कहा कि हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के सभी उपनल कर्मचारी जल्द हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।
हरक सिंह रावत पहुंचे धरना स्थल, अनशन तुड़वाया
गुरुवार को कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत भी धरना स्थल पहुंचे और आंदोलनरत कर्मचारियों का समर्थन किया। उन्होंने तीन दिन से आमरण अनशन पर बैठे महेश चंद्र भट्ट और योगेश बडोनी को जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया।
इसके बाद उनकी जगह रवि विश्वकर्मा और पंकज पांडे ने अनशन बैठना शुरू किया।
कई संगठनों और नेताओं का समर्थन
आंदोलन को कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक हस्तियों ने समर्थन दिया। इनमें कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना, ज्योति रौतेला, स्वामी दर्शन भारती, वाहन चालक संघ के महामंत्री अजय डबराल, अमित भट्ट, प्रदीप कंसल, राकेश शर्मा, गरिमा दसौनी, शीशपाल बिष्ट, पंकज क्षेत्री और विजय चौहान शामिल रहे।
‘अगर नारे कम लगाते तो हरीश रावत सरकार में हो जाते नियमित’: हरक सिंह का बड़ा बयान
धरना स्थल पर पहुंचे पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अपने संबोधन में कई बड़े दावे किए। उन्होंने कहा कि यदि उपनल कर्मचारी उस समय उनके खिलाफ नारेबाजी न करते, तो हरीश रावत सरकार के दौरान ही उनका नियमितीकरण संभव था।
उन्होंने यह भी बताया कि त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान भी वे उपनल कर्मियों के नियमितीकरण का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के पक्ष में थे, लेकिन कुछ लोगों के विरोध के चलते वह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका।
साथ ही उन्होंने कहा कि यदि वे लालढांग–चिल्लरखाल मोटर मार्ग के 70% निर्माण की जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री को न देते, तो यह सड़क भी अब तक तैयार हो चुकी होती।

