रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने बुधवार को ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत आठ स्टेशनों के निर्माण के लिए टेंडर जारी किए। ये स्टेशन पैकेज-दो और पैकेज-तीन के अंतर्गत बनाए जाएंगे। कंपनियां 28 अक्टूबर तक अपने टेंडर दाखिल कर सकेंगी, जिन्हें 21 नवंबर को खोला जाएगा। जनवरी 2026 से इन स्टेशनों पर निर्माण कार्य शुरू होने की तैयारी है।
किन स्टेशनों पर होगा निर्माण?
परियोजना के पैकेज-दो में देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर स्टेशन शामिल हैं। इनका निर्माण लगभग 163.45 करोड़ रुपये की लागत से होगा। वहीं, पैकेज-तीन में धारी देवी, तिलनी, घोलतीर और गौचर स्टेशन शामिल हैं, जिन पर 126.16 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
परियोजना की मौजूदा स्थिति
ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल लाइन सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस पर कुल 13 स्टेशन बनाए जाने हैं। इनमें से वीरभद्र और योगनगरी ऋषिकेश स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं और यहां से ट्रेन सेवाएं शुरू भी हो गई हैं। साथ ही शिवपुरी और व्यासी स्टेशनों पर काम चल रहा है।
अब आठ नए स्टेशनों के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। टेंडर खुलने के बाद चयनित कंपनी को साइट पर सामान और मशीनरी जुटाने के लिए समय दिया जाएगा।
कर्णप्रयाग स्टेशन होगा सबसे बड़ा
परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन कर्णप्रयाग होगा, जिसे एक टर्मिनल स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 20 नवंबर को टेंडर जारी होगा। यहां 26 रेल लाइनें बिछाई जाएंगी और काम जून 2026 से शुरू होने की संभावना है।
सुरंग और ट्रैक का काम
रेल परियोजना की कुल लंबाई 126 किमी है, जिसमें से 105 किमी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। कुल 17 सुरंगें बनाई जानी हैं। इनमें सबसे लंबी सुरंग देवप्रयाग और जनासू के बीच 14.08 किमी की होगी, जबकि सबसे छोटी सुरंग केवल 200 मीटर की (सेवई–कर्णप्रयाग के बीच)। अब तक तीन सुरंगों में करीब 10 किमी की खोदाई का काम बाकी है। साथ ही, ट्रैक बिछाने के लिए सर्वे का कार्य जारी है।
परियोजना पर एक नजर
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कुल लागत: 16,216 करोड़ रुपये
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परियोजना शुरू: 2019
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लक्ष्य पूर्णता: 2026
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कुल लंबाई: 126 किमी
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13 स्टेशन बनेंगे (जिनमें 2 पूरे, 2 निर्माणाधीन, 8 के लिए टेंडर जारी)
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11 सुरंगें होंगी जिनकी लंबाई 6 किमी से अधिक
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूरा होने के बाद उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों तक रेल संपर्क बेहतर होगा और यात्रा का समय काफी हद तक कम हो जाएगा।

