Dainik UjalaDainik Ujala
    What's Hot

    देहरादून: एंजेल चकमा मौत मामला, जन्मदिन पार्टी के मजाक से शुरू हुआ विवाद, नस्लीय टिप्पणी के सबूत नहीं

    December 30, 2025

    ऋषिकेश: जमीन छिनने के डर ने भड़काया आक्रोश, रेलवे ट्रैक जाम कर पुलिस पर पथराव

    December 29, 2025

    उर्मिला सनावर के आरोपों से भाजपा असहज, दिल्ली तक पहुंचा उत्तराखंड का सियासी भूचाल

    December 28, 2025
    Facebook Twitter Instagram
    Tuesday, December 30
    Facebook Twitter Instagram
    Dainik Ujala Dainik Ujala
    • अंतर्राष्ट्रीय
    • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
      • अल्मोड़ा
      • बागेश्वर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • देहरादून
      • हरिद्वार
      • नैनीताल
      • रुद्रप्रयाग
      • पौड़ी गढ़वाल
      • पिथौरागढ़
      • टिहरी गढ़वाल
      • उधम सिंह नगर
      • उत्तरकाशी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • अन्य खबरें
    • संपर्क करें
    Dainik UjalaDainik Ujala
    Home»राष्ट्रीय»राम जन्मोत्सव के दिन सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर करेंगी अभिषेक, वैज्ञानिकों ने शुरू की तैयारी
    राष्ट्रीय

    राम जन्मोत्सव के दिन सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर करेंगी अभिषेक, वैज्ञानिकों ने शुरू की तैयारी

    Amit ThapliyalBy Amit ThapliyalMarch 27, 2025No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest WhatsApp LinkedIn Tumblr Email Telegram
    Share
    Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Pinterest

    6 अप्रैल को मनाया जाएगा रामजन्मोत्सव

    वैज्ञानिकों ने इसे ”सूर्य तिलक मैकेनिज्म” का दिया नाम

    अयोध्या। राम जन्मोत्सव के दिन रामलला के सूर्य तिलक की व्यवस्था स्थायी हो गई है। इस रामनवमी से लगातार 20 सालों तक रामजन्मोत्सव पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। मंदिर के शिखर से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसके लिए खास तरह के मिरर और लेंस लगाए जा रहे हैं। रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम अयोध्या पहुंच गई है और सूर्य तिलक के लिए उपकरण लगाने का काम शुरू कर दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगले 19 सालों तक सूर्य तिलक का समय हर साल बढ़ता जाएगा।

    वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए एक प्रोग्राम विकसित कर कम्प्यूटर में फीड कर दिया है। इस बार रामजन्मोत्सव का पर्व छह अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन ठीक दोपहर 12:00 बजे रामलला का सूर्य तिलक होगा। रामलला के माथे पर यह विशेष सूर्य तिलक प्रत्येक रामनवमी यानी भगवान राम के जन्मदिन पर उनके माथे पर सजेगा। वैज्ञानिकों ने इसे ”सूर्य तिलक मैकेनिज्म” नाम दिया है। सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर रामनवमी को दोपहर 12 बजे 75 मिमी के गोलाकार रूप में करीब तीन से चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा।

    सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की ने एक खास ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के तीसरे तल पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणें एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरे दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। इसके बाद लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर लगे दर्पण पर किरणें पड़ेंगी और दोबारा 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से रामलला का सूर्य तिलक पूरा होगा।

    भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान बंगलूरू के रिसर्च के मुताबिक, हर साल सूर्य तिलक का समय बढ़ता जाएगा। 19 साल तक टाइम कुछ न कुछ बढ़ेगा। उसके बाद फिर से 2025 की रामनवमी की तरह ही रिपीट होगा। यानी 2025 रामनवमी को सूर्य तिलक जितनी देर का होगा। 19 साल बाद 2044 में भी उतनी ही देर के लिए सूर्य तिलक होगा। राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से निर्धारित होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भारत के प्रमुख संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने चंद्र व सौर (ग्रेगोरियन) कैलेंडरों के बीच जटिलतापूर्ण अंतर के कारण आने वाली समस्या का समाधान किया है। यह एक दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग था। इसमें दो कैलेंडरों के 19 साल के रिपीट चक्र ने समस्या को हल करने में मदद की।

    सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कुछ जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिर में किया जा रहा है। हालांकि उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है। राम मंदिर में भी मेकैनिज्म वही है, लेकिन इंजीनियरिंग अलग है।

    Share. Facebook WhatsApp Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram
    Avatar photo
    Amit Thapliyal

    Related Posts

    प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर चारों धामों में हुई विशेष पूजा अर्चना

    September 17, 2025

    मुख्यमंत्री धामी ने मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राज्य से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया

    June 24, 2025

    बड़ी खबर: टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद एयर इंडिया का विमान गिरा…232 यात्री और 10 क्रू मेंबर थे सवार

    June 12, 2025

    ‘मन की बात’ का 122वां एपिसोड, पीएम मोदी ने साझा किए सेना के शौर्य और नागरिकों की भावना के किस्से

    May 25, 2025
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    © 2025 Dainik Ujala.
    • Home
    • Contact Us

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version