हापुड़ और देहरादून पुलिस जिस बिल्डर शाश्वत गर्ग और उसकी पत्नी साक्षी को तलाश कर रही थी, वह दोनों गुमशुदगी के तीन दिन बाद ही नेपाल भाग चुके थे। यह जानकारी तब सामने आई जब निवेशकों ने अलग-अलग माध्यमों से उनकी गतिविधियों का पता लगाने की कोशिश की।
शुरुआती जांच में सामने आया कि शाश्वत गर्ग 17 अक्तूबर को योजनाबद्ध तरीके से अपनी ससुराल हापुड़ गया था। उसी शाम वह देहरादून के लिए निकल गया और अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। उसकी पत्नी साक्षी का फोन भी स्विच ऑफ पाया गया। इसके बाद पुलिस को शक हुआ कि दोनों किसी बड़ी आर्थिक लेनदेन की वजह से जानबूझकर घर से निकले हैं।
जांच में यह भी पता चला कि गर्ग की कार हरिद्वार की एक पार्किंग में खड़ी मिली थी। इसके बाद निवेशकों ने अपने स्तर पर भी खोजबीन शुरू की। जानकारी मिली कि 21 अक्तूबर को दंपती मुंबई पहुंचे और वहां से रॉयल एयरलाइन की फ्लाइट से काठमांडू रवाना हो गए। नेपाल में दोनों एक होटल में ठहरे, लेकिन जब निवेशकों ने होटल संपर्क किया तो स्टाफ ने कहा कि वे गर्ग से बात करवा सकते हैं। निवेशकों ने आशंका के चलते मना कर दिया कि कहीं उसे भनक न लग जाए।
अगले दिन कुछ निवेशक सड़क मार्ग से काठमांडू पहुंचे, लेकिन वहां जाकर होटल प्रबंधन ने बताया कि इस नाम का कोई व्यक्ति उनके यहां नहीं ठहरा।
इस बीच, मामले की गंभीरता देखते हुए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने शाश्वत गर्ग और उसकी पत्नी साक्षी के पासपोर्ट निरस्त कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि गर्ग के अन्य परिवारजन के पासपोर्ट गाजियाबाद कार्यालय से जारी हुए थे।
इधर, रेरा पहले ही उनके थानो रोड स्थित प्रोजेक्ट की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा चुकी है। राजपुर थाने में गर्ग और उसके परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। आईजी गढ़वाल के निर्देश पर बनाई गई एसआईटी जांच में जुटी हुई है। निवेशकों द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों को भी जांच में शामिल किया जा रहा है।

